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संगम तीरे अव्‍यवस्‍था

Shahid Naqvi
Shahid Naqvi
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धार्मिक नगरी इलाहाबाद मे संगम तीरे महा कुम्भ के ठीक एक साल बाद फिर से माघ माह मे धर्म भीरु भक्तजन यहां बड़ी तादात मे एकत्र हुए हैँ।देश भर के तमाम जागरुक और गैर जागरुक लोगोँ ने पढ़ा होगा कि कुम्भ के दौरान अरबोँ की रकम खर्च की गयी ।शहर सजा ,मेला क्षेत्र सजा और संगम सजा ।लेकिन महज़ एक साल मे हालात इतने बिगड़ गये कि अब मेले मे रहने लायक हालात नही है।सब जानते हैँ कि जाड़े मे तूफानी बरसात बरसात जैसी नही होती है।फिर भी शहर मे आराम से सड़कोँ और गलियोँ मे नही चला जा सकता है।रोज़ लोग फिसल के गिर रहेँ हैँ।गलियोँ मे तो कारेँ फंस रही हैँ।लोगोँ का कुल मिला कर जीना मुश्किल है।अब ये कौन बतायेगा कि अरबोँ की रकम कहां खर्च की गयी है।ये हालात शहर के तब है जब देश लोकसभा चुनावोँ की दहलीज़ पर खड़ा है।अपने को धर्म की रक्षक कहने वाली भाजपा और देश की रक्षक कांग्रेस को भी मेले क्षेत्र और शहर की हालत नही दिखती है।कोयले की कालिख से हाथ काला करने का आरोप झेल रही कांग्रेस को भी अरबोँ की रकम का हिसाब नही दिख रहा है ।जबकि उसे जनता के वास्ते इसका हिसाब मांगना चाहिए ।
संगम तीरे चल रहा माघ मेला इन दिनों अपने रंग पर हे। लेकिन कल्‍पवासियों को वहां भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है इसके बाद भी सरकार की ओर से कोई विशेश पहल नही की जा रही हे। यही नही अब तक किसी राजनीतिक दल ने इस बारे मे आवाज़ नही उठाई है।सवाल ये उठता है कि एक साल मे ही हालात इतने खराब कैसे हो गये और  इसका जवाब कौन देगा ।जब हर साल इस इस तरह के आयोजन होते हैं तोफिर क्‍यों ठीक इंतज़ाम नही किए जाते हैं। मेले की पूरी जवाब देही भी तय की जानी चाहिए।
.शाहिद नक़वी .

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