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कमज़ोर होते जनाधार से कांग्रेस मे घबराहट

Shahid Naqvi
Shahid Naqvi
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उत्तर भारत के बड़े राज्योँ मे दरकती छावि और कांग्रेस के कमज़ोर होते हाथ
ने आला कमान को बेचैन कर दिया है ।गांधी परिवार के करिश्मे को बचाये रखने
और लोकसभा चुनावोँ की वैतरणी पार करने का दबाव भी उस पर है ।इस लिए हर
रोज़ बदलाव की तरकीब और तरतीब सोची जा रही है ।युवाओँ पर दांव लगाने के
साथ -साथ जनता को लुभाने की कोशिश की भी हो रही है ।इसी के तहत एक साल मे
12 रसोई गैस सिलेण्डरोँ की पुरानी मांग भी आखिरकार पूरी कर दी गयी है
।रसोई गैस सिलण्‍डरों मे कटौती का फैसला कांग्रेस को हालिया विधान सभा
चुनावों मे भारी पड़ा था ।महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी मे रसोई गैस
सिलेण्‍डरों की कटौती को लेकर भारी नासराज़गी थी ।
राहुल गांधी के मैदान मे आने के बाद भी पिछले दो सालोँ मे हुए
दस राज्योँ के विधान सभा चुनावोँ के नतीजे कांग्रेस के लिए उत्साहवर्धक
नही रहे हैँ।खासकर हालिया विधान सभा चुनावोँ मे कांग्रेस का हाथ जितना
खाली रहा उतना पहले कभी खाली नही रहा ।कांग्रेस की पराजय ऐसे राज्‍यों मे
हुयी जो कभी उसके गढ़ हुआ करते थे ।जनहित से जुड़े कई मोर्चे पर केन्‍द्र
सरकार की नाकामी और मंहगाई वा भ्रष्‍ट्राचार का पिछले दस सालों मे कई
गुना बढ़ जाना भी उसके लिए परेशानी का सबब है ।कोई सरकार ये नही चाहेगी
कि जब वह वोट मांगने जनता के बीच जाए तो इन मुददों पर उसे कड़े सवालों का
सामना करना पड़े ।इसी लिए कांग्रेस आला कमान बदलाव के मोड मे आगया है ।
पार्टी नेतृत्व को पुराने और बड़े नेताओँ का जनाधार भी खिसकता हुआ दिख रहा
है ।
इस लिए युवा और नये चेहरोँ को आगे लाने की कवायद शुरु की गयी है ।पार्टी
आला कमान के युवाओं को पचास फीसदी टिकट देने के फैसले से भी दिग्‍गज
नेताओं मे खलबली मची है ।इस र्फामूले को उन सीटों पर लागू किया जायेगा
,जहां 2009 के चुनाव मे कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था ।ऐसे मे
पार्टी ज़यादातर सीटों पर नए और युवा चेहरों को उम्‍मीदवारी का मौका देगी
।कांग्रेस युवाओं और महिलाओं को केन्‍द्र मे रख कर चुनावी रणनीति को
अमलीजामा पहनाने मे जुटी है ।पार्टी की तरफ से युवा भारत –सशक्‍त भारत का
नारा भी बुलंद किया जा रहा है ।राहुल गांधी ने अपनी जो टीम खड़ी की है
उसमे ज्‍़यादातर 50 साल से कम उम्र के नेता हैं ।राहुल की चुनाव समन्‍वय
समिती के सदस्‍य अजय माकन 50 वर्ष के है तो राजस्‍थान प्रदेशाध्‍यक्ष
सचिन पायलट 36 साल के हें ।
इसके अलावा सिंधिया ,अशोक तंवर , आर पी एन सिंह , अरूण यादव , रणदीप
सुरजेवाला और मीनाक्षी नटराजन सब के सब 40 के आसपास के युवा हैं वा राहुल
ने इन्‍हें चुनाव के मददे नज़र अहम जि़म्‍मेदारी सौंपी है ।युवाओं को आगे
करने की कांग्रेस की रणनीति के पीछे सन 2014 मे नवजवान मतदाताओं की भारी
तादात भी एक बड़ी वजह है ।देश के कुल 72 करोड़ वोटरों मे से 14 करोड़ से
अधिक ऐसे हें जो पहली बार देश की सरकार चुनने मे सन 2014 मे अपनी राय
देगें ।इसमे करीब 7.88 करोड़ युवक और 7.05 करोड़ युवतियां शामिल हैं
।तरूणई यानी 18 से 35 साल के युवाओं की सबसे अधिक तादात उत्तर प्रदेश मे
है ।यहां 6 करोड़ 4491692 ,बिहार मे 3 करोड़ 515267 और ब़गाल मे भी 3
करोड़ 565371 तरूणई वोट देने के लिए बेताब है ।इसके अलावा अन्‍य राज्‍यों
मे भी बड़ी तादात मे नवजवान वोटर है । ये युवा चुनाव नतीजों को प्रभावित
करने की पूरी ताकत रखते हैं ।
इसी कड़ी मे कांग्रेस महा
सचिव और मध्य प्रदेश के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह और दूसरे नेताओं को
लोकसभा चुनाव ना लड़ा कर राज्य सभा के रास्ते संसद मे भेजने का कदम उठाया
गया है ।ये वही दिग्‍गीराजा हैं जो कांग्रेस के भविष्‍य राहुल गांधी के
रानीतिक सलाहकार के रूप मे जाने जाते थे ।सन 1993 से 8 दिसम्‍बर 2003 तक
वह मध्‍य प्रदेश के ताकतवर मुख्‍य मंत्री थे ।लेकिन इसी साल हुए विधान
सभा चुनावों मे मिली करारी हार के बाद दिग्‍विजय सिंह ने दस सालों तक
चुनावी राजनीति से वनवास का एलान कर दिया ।इसके बाद भी वह कांग्रेस की
राजनीति मे ताकतवर बने रहे और उत्‍तर प्रदेश जैसे राज्‍य के प्रभारी भी
बने ।कांग्रेस मे उनकी ताकत का अंदाजा़ इस बात से लगाया जा सकता है कि
,विधान सभा चुनावों मे पार्टी की सूची आने के पहले ही उन्‍होने अपने
पुत्र का पर्चा भरवा दिया था । हाल मे ही उनका चुनावी राजनीति का वनवास
पूरा हुआ तो वह प्रदेश की राजनीति मे वापस आने की कोशिश मे थे और कई बार
संकेत भी दे चुके थे कि पार्टी जहां से कहेगी चुनाव लड़ेगें ।उनके भाई
लक्ष्‍मण सिहं ने तो बाकायदा एलान भी कर दिया कि दिग्‍गीराजा मध्‍य
प्रदेश के सागर से चुनाव लड़ेगें ।लेकिन आला कमान ने युवा फार्मूले के
तहत उनको एक बार फिर चुनावी राजनीति से अलग रखने का फैसला किया ।
उनके विरोधी गिने जाने वाले कमलनाथ , सुरेशपचौरी और ज्‍योतिरादित्‍य
सिंधिया भी उनको विधान सभा चुनाव मे मिली हार का जिम्‍मेदार ठहराने मे
कामयाब होते दिखे ।राज्‍य सभा के ज़रिए संसद मे जाना मध्‍य प्रदेश की
राजनीति मे उनके वनवास की शुरूआत माना जा रहा है ।उनके समर्थकों को भी
राज्‍य की राजनीति मे किनारे किया जा रहा है ।युवा नेता अरूण यादव को
प्रदेशाध्‍यक्ष और सतयदेव कटारे को नेता प्रतिपक्ष बनाया जाना इसका
प्रमाण है ।इन नेताओं को कमलनाथ समर्थक माना जाता है जबकि विधान सभा
उपाध्‍यक्ष राजेंद्र सिंह को सिंधिया खेमे का माना जाता है ।बदले हालात
मे प्रदेश की राजनीति मे दिग्‍विजय सिंह का कद कम हुआ है ।
वैसे उम्र के लेहाज़ से दिगगी राजा कोई बूढ़े राजनेता नही हैं ,इसी साल
फरवरी मे वह 67 वर्ष के होगें ।लगभग चार दशक के सियासी जीवन मे उनको
राजनीति के चाणक्‍य का भी खिताब मिला है ।इस लिए उनके दोस्‍तों का मानना
है कि पार्टी ने उनको प्रचार के लिए फ्री रखने के लिए ऐसा किया है और
सीनियर नेताओं को चुनाव मे उतारने को लेकर कोई घबराहट नही है ।पिछले दो
सालों मे हुए विधान सभा चुनावों के नतीजों पर अगर गौर किया जाये तो कहीं
ना कहीं ये लगता है कि गाधी परिवार के करिश्‍मे मे भी कुछ कमी आयी है ।हो
सकता है कि इसकी वजह भी मौजूदा केन्‍द्र सरकार ही हो ।अब राहुल गांधी के
सामने अपने परिवार की करिश्‍माई विरासत को बचाने और उसका पुराना वैभव
वापस लाने वा जनता का पूरा भरोसा जीतने की भी बड़ी जि़म्‍मेदारी है ।इस
लिए कांग्रेस के लिए सन 2014 का चुनाव हर तरहा से अहम है ।
पहले नेशनल कांफ्रेस और अब एन सी पी के बदले रूख ने भी कांग्रेस के
रणनीतिकारों को बेचैन कर दिया है।अपने सहयोगियों को बचाये रखने की भी
कवायद करनी पड़ रही है। इसके अलावा बेतहाशा बढ़ती महंगाई भी कांग्रेस के
लिए वापसी मे एक रूकावट है ।विधान सभा चुनावों मे उसकी हार की बड़ी वजह
मंहगाई रही है ।इससे साबित होता है कि जनता महंगाई के लिए राज्‍यों के
बजाय केन्‍द्र को जि़म्‍मेदार मानती है ।अर्थ नीति के डाक्‍टर आम चुनावों
से पहले महंगाई डायन का इलाज करने की कोशिश मे हैं लेकिन लगता नही कि
उनकी कोई दवा अब महंगाई के इलाज मे कारगर हो सकेगी ।क्‍यों कि उपभोक्‍ता
मूल्‍य सूचकांक के आधार पर कांग्रेस के लिए सभी अहम प्रदेशों यानी उत्‍तर
प्रदेश ,बिहार , असम ,कर्नाटक मे महंगाई की दर काफी ज्‍़यादा है ।इन
राज्‍यों मे लोकसभा की सीटों की संख्‍या भी अधिक है ।इन राज्‍यों मे
सफलता पर ही दिल्‍ली का रास्‍ता दिखता है ।इन राजयों मे पिछले सालों मे
रोज़मर्रा की चीज़ों के दाम आसमान पर पहुचें है । इस लिए अब सरकार को डर
सता रहा हे । ऐसे मे ही सरकार की ओर से रसोई गैस के सस्‍ते सिलण्‍डरों की
संख्‍या बढ़ाई गई है। वैसे बाकी बचे हुए महीनों मे कांग्रेस की ओर से अभी
और बदलाव और कई घोषणओं की उम्‍मीद की जा रही है ।हो सकता है कि उसमे कुछ
जनता को सीधे फायदा दे जाए ।
*शाहिद नकवी *

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