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कांग्रेस के बड़ों के खिलाफ आपका का हल्‍ला बोल

Shahid Naqvi
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अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी अपनी दिल्‍ली सरकार की शहादत का जाम पीने के बाद अपने मिशन 2014 पर निकल पड़ी है ।राजनीतिक हल्‍के मे कहा जा रहा है कि केजरीवाल आंदोलन के दौरान किए गए लम्‍बे चौड़े वायदों को पूरा करने की अपनी जवाबदेही से भाग खड़े हुए हैं ।या यूं कहें कि मुख्‍य मंत्री बनने के बाद उनको वायदों और सरकार चलाने के बीच की हकीकत समझ मे आगयी और शायद इसी लिए सरकार से पलायन कर गये । कुछ हद तक उनके विरोधियों की ये बात सही साबित भी होती है ,क्‍यों कि जिस तरह महज़ 49 दिनों मे आप ने खुद अपनी सरकार गिरायी है उससे यही संदेश मिलता है ।लेकिन केजरीवाल ने कुर्सी संभालने के फौरन बाद ही मीडिया को ये संकेत दे दिया था कि उनके पास समय नही है ।बड़े दल यानी कांग्रेस और भाजपा उनकी सरकार गिराने के लिए मौके की तलाश मे हैं ।
गौरतलब है कि अपनी सरकार के छह सप्‍ताह वह हर दिन देश के समाचारों मे छाये रहे और यही उनका असली मकसद भी था। भले ही इसके लिए उन पर कई बार नाटकीयता का भी सहारा लेने और जनता की उम्‍मीद से पलायन के भी आरोप लगे ।ज़ाहिर है कि उनकी नज़र केन्‍द्र की राजनीति पर भी थी और दिल्‍ली मे मिले जनसर्मथन को सारे देश मे भुनाने की योजना भी थी ।दूसरे केनद्र मे जनलोकपाल बिल पास होने और अन्‍ना हज़ारे की उसे हां मिलने के बाद भी केजरीवाल पर जनलोकपाल को लेकर दबाव था । शायद इसी लिए उन्‍होने जनलोकपाल के मुददे पर अपनी सरकार का दांव लगाया वर्ना ,वह दिल्‍ली के उपराज्‍यपाल की ना के खिलाफ अदालत का रास्‍ता भी चुन सकते थे।गैस के दाम मे खेल को लेकर अंबानी वा केन्‍द्र सरकार के खिलाफ सीधा मोर्चा खोलकर वह ये भी संदेश देने मे भी कामयाब हो गये कि भ्रष्‍टाचार के खिलाफ अभी भी आप के अलावा देश के दूसरे राजनीतिक दल उतने गम्‍भीर नही हैं ।मुकेश अंबानी सहित चार बड़ों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करा कर वह लोकसभा चुनावों के लिए एक मुददा भी ले गये ।
केजरीवाल अपने मकसद मे कितने कामयाब होते हैं और सरकार कों लेकर उनके बर्ताव मे कितना बदलाव आयेगा ये तो आने वाला समय बतायेगा ,लेकिन उनके तरकश मे अभी कई तीर हैं जिसको लेकर दोनों बड़े दल बेचैन हैं ।लोकसभा चुनावों के लिए आम आदमी पाट्री की पहली सूची मे कई ऐसे नाम शामिल हैं जो लोगों के लिए अनजाने नही हैं ।इससे जाहिर है कि वह इसके लिए पहले से तैयारी कर रही थी और दिल्‍ली सरकार का जाना भी इसी तैयारी का एक सिलसिला था ।अपनी तरफ से आप ने पुराने सियासी दलों खसकर कांग्रेस और भाजपा के बड़ों को घेरने की पूरी कोशिश की है ।पहले चरण मे आप ने विकलांगों के उपकरण घोटाले को उजागर करने वाले मुकुल त्रिपाठी को कांग्रेस नेता वा विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद के विरूध्‍द र्फरूखाबाद से और महाराष्‍ट्र सिचाई घोटाले का खुलासा कर सुर्खीयों मे आयी अंजलि दमानिया को नगपुर सीट से उम्‍मीदवार घोषित कर इसका संकेत दे दिया है ।गौरतलब है कि नागपुर सीट से अभी भाजपा के पूर्व अध्‍यक्ष नितिन गडकरी सांसद हैं ।दमानिया ने गडकरी के खिलाफ भी अभियान चलाया था ।करोड़ों के सिंचाई घोटाले का पर्दाफाश करने वाली अंजलि ने सन 2011 मे नितिन गडकरी और एन सी पी प्रमुख केन्‍द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार के बीच मिली भगत का आरोप लगाया था ।आप की ओर से उम्‍मीदवार बनाये जाने के बाद उन्‍होने कहा है कि वह जल्‍दी ही भ्रष्‍टाचार के कुछ और मामले सामने लायेंगी 1
इसी तरह आप ने कांग्रेस के भविष्‍य राहुल गांघी के खिलाफ अमेठी से कवि कुमार विश्‍वास को और चांदनी चौक दिल्‍ली से केन्‍द्रीय मंत्री कपिल सिब्‍बल के खिलाफ प्रसिध्‍द पत्रकार आशुतोष को, तो सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर को उत्‍तर पूर्व मुम्‍बई से मैदान मे उतार दिया है ।इसी कड़ी मे कुछ और नाम भी शामिल हे 1कयास लगाया जा रहा है कि आप इस्‍पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा और कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल को भी घेरने की कोशिश करेगी ।अभी आम आदमी पार्टी की ओर से दूसरी सूची आनी बाकी है ,हो सकता है कि कुछ और चौकाने वाले नाम हों वा कुछ नेता निशाने पर हों ।चुनाव अभियान ज़ोर-शोर से चलाने के लिए आप ने पूरे देश मे झाड़ू रैली करने का फैसला किया है ।वैसे अब तक आये किसी भी चुनाव पूर्व सर्वेक्षण मे आम आदमी पार्टी को कोई तरजीह नही दी गयी है ।लेकिन देश मे इस समय जिस तरह बदलाव की बयार चल रही है उससे लोकसभा चुनावों मे आप को नकारा नही जा सकता है । इस लिए पुराने दिग्‍गज अपने -अपने दुर्ग को मज़बूत करने मे जुटे हें ।साल 2013 के दिसम्‍बर मे केजरीवाल ने जिस तरह दिल्‍ली मे शीला दीक्षित को शिकस्‍त दे कर मिसाल कायम की थी उससे शहरी क्षेत्र के मतदाताओं के सहारे जीत की आस लगाये नेताओं वा राजनीतिक दलों मे बेचैनी है ।माना जा रहा है कि आप का असर शहरी क्षेत्रों मे अधिक है ।
आपकी रणनीति भी शहरी क्षेत्रों मे अपने प्रभाव को भुनाने और बड़े नेताओं खास कर जिन पर किसी तरह का आरोप लगा है ,के खिलाफ हल्‍ला बोलने की है ।इसी लिए आपने अब जातिगत समीकरणों पर भी ध्‍यान देना शुरू किया हे । केजरीवाल की अब तक की कार्यशैली से तो यही लग रहा है कि उनके निशाने पर देश के दोनों बड़े दल और उसके नेता ही है ।आप की हर चाल से नुकसान भी इनको ही हो रहा है और बेचैन भी कांग्रेस वा भजपा ही ज़यादा हैं ।इसके उलट जानकारों का कहना है कि आप के पास चुनाव लड़ने के लिए ज़रूरी संसाधन नही है और हर बूथ तक जाने के लिए कार्यकर्ताओं की लम्‍बी चौड़ी फौज भी नही है ।यहां ये बात भी काबिले गौर है कि पिछले साल दिल्‍ली विधान सभा चुनाव मे आप के सामने यही समस्‍या थी । आप के लोगों का दावा है कि दिल्‍ली के 69 विधान सभा क्षेत्रों के करीब एक हज़ार बूथों पर उसके पोलिंग एजेन्‍ट नही थे ।जबकि इन 69 सीटों का चुनाव लड़ने मे महज़ 14-15 करोड़ रूपए ही खर्च हुए थे ।इस लिए लोकसभा चुनावों मे भी इन बातों का आम आदमी पार्टी के लिए कोई मायने नही है । वैसे राजनीति मे अब जनता को उसके हक को उपकार के रूप मे देने के दिन लद से गये हें ।आम आदमी अब समझने लगा है कि जो हक मेरा था ,उसे मुझे देकर अब एहसान कैसा । ऐसे मे दिल्‍ली सरकार से पलायन ,जनता की उम्‍मीदों वा सपनों की अनदेखी और भरोसे को तोड़ने के गम्‍भीर आरोपों के बीच आम आदमी पार्टी आगामी लोकसभा चुनावों मे कहां खड़ी रहती है या केन्‍द्र मे बनने वाली नयी सरकार मे उसकी क्‍या भूमिका रहती है ये देखना अब दिलचस्‍प होगा ।
*शाहिद नकवी *

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