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पेरिस हमला महाशक्‍तियों के लिये चुनौती

Shahid Naqvi
Shahid Naqvi
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अंतराराष्‍ट्रीय आतंकी संगठन आईएसआईएस ने आतंकवाद और कट्टरवाद के खिलाफ अब तक सबसे मुखर रहे फ्रांस पर एक बार फिर बड़ा हमला कर समूची दुनियां को चुनौती दी है ।ये चुनौती रूस और अमेरिका समेत उन धनी और मजबूत देशों के लिये भी है जो आतंकवाद और उग्रवादी संगठनों के नाम पर बड़े अभियान तो संचालित करते हैं लेकिन भीतर से एक जुट नही हैं ।सचमुच आईएसआईएस की बढ़ती ताकत विचलित कर देने वाली है ,वह भी तब जब अमेरिका और उसके साथी देश करीब दो दशकों से तमाम देशों मे लोकतंत्र की बहाली और उग्रतेवर वाले गुटों के खातमे मे लगे हैं । लश्कर और अलकायदा के बाद आतंक का नया और सबसे खौफनाक चेहरा है आईएसएस। पहले न्यूयार्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर फिर मुंबई पर आतंकी हमला और अब पेरिस. आतंक का नाम कुछ भी हो लेकिन हर बार इंसानियत ही लहूलुहान होती है इस खतरनाक आतंकवादी संगठन की बढ़ती ताकत का अंदाज़ा लगाने के लिये ये काफी है कि महज डेढ़ साल मे ये मानवता विरोधी संगठन 11 देशों मे आतंकी हमलों को अंजाम दे चुका है ।इसमे लीबीया , . सऊदी अरब ,लेबनान , मिस्र , कुवैत ,बंग्‍लादेश और यमन जैसे देश शामिल हैं । लेकिन शुक्रवार की रात पेरिस में हुये आतंकी हमले ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। यह हमला दुनिया में तीसरा बड़ा आतंकी हमला बन गया।इसी लिये माना जा रहा कि पेरिस में आईएसआईएस का आतंकी हमला बड़े खौफनाक मंजर का संकेत है।पहले आतंकी हमले का स्‍वरूप क्षेत्रीय था तो एक देश की कार्रवाई से दबाया जा सकता था। लेकिन अब आतंकवाद के आकाओं के पास पूरी एक पूरी रियासत है और बड़े पैमाने पर धन बल की उपलब्‍ध्‍ता है ।माना जाता है कि आईएसआईएस दुनिया का सबसे अमीर आतंकी संगठन है। इस संगठन ने इराक में सरकार के समानांतर खुद की सरकार खड़ी कर ली है। इस वर्ष जून में ही इस आतंकी संगठन के पास दो अरब डॉलर से ज्यादा की संपत्ति हो गई थी। संगठन ने अगस्त 2014 में ही करीब एक दर्जन तेल कुओं पर कब्जा कर लिया था। इससे संगठन को प्रतिदिन करीब 30 लाख डॉलर की कमाई हो रही है। सीरिया में भी संगठन ने काफी बड़े हिस्से की ऑइल फील्ड पर कब्जा किया है।तेल की तस्‍करी , अपहरण, दुकानों में लूट, जबरन वसूली आदि इसकी कमाई का मुख्य जरिया हैं। जब जून में संगठन ने इराक के शहर मोसुल पर कब्जा किया था, तो एक साथ 43 करोड़ डॉलर की लूट की थी। इसी तरह संगठन लगातार अपने संसाधन और कमाई बढ़ाकर मजबूत होता जा रहा है।उधर अमेरिका पेंटागन के जारी आंकड़ों के मुताबिक इस आतंकी गुट से लड़ाई मे 8 अगस्‍त 2014 से इस साल जुलाई तक साढ़े तीन अरब डालर खचै कर चुका है ।बताया जाता है कि इस संगठन से मुकाबले मे अब रोज़ करीब 46 लाख डालर का खर्च अनुमानित है ।

भारत कश्‍मीर मे साल 1990 से और अफगानिस्‍तान तो सन 1980 से आतंकी हमले झेल रहा है ।उस समय ताकतवर देशों ने इसे गम्‍भीरता से नही लिया ।लेकिन चौदह साल पहले 11 सितंबर 2001 को पूरी दुनिया ने आतंक का वो कारनामा देखा जिसे देखकर इंसानियत खौफजदा हो गई। अमरिका के मशहूर शहर न्यूयार्क पर आतंकियों ने इस तरह हमला किया कि हर कोई हैरान रह गया। विमान के सहारे दुनिया की एक आलीशान इमारत यानी वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पल में जमीदोज कर दिया गया. हजारों लोग मौत के मुंह में समा गए। इससे अमेरिका विचलित तो हुआ लेकिन उसने इसे बहुत गम्‍भीर नही माना ।फिर 26 नवंबर, 2008 को आतंकियों ने भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई पर कई जगह हमले किए । कई बेगुनाहों की जान ले ली। कई लोगों को बंधक भी बनाया गया ,जिसमें विदेशी पर्यटक भी शामिल थे। पूरा देश सन्न रह गया था. 24 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद सुरक्षा बलों ने जान पर खेल कर आतंकियों को मार गिराया और एक आतंकी कसाब को जिंदा पकड़ लिया था। जिसे बाद में फांसी दी गई। अब
पेरिस में हुए आतंकी हमले ने मुंबई में आतंकी हमले की याद ताजा कर दिया है। जानकारों का मानना है कि दोनों हमलों में काफी समानता है। यही वजह है कि आतंकी हमला हजारों मील दूर विदेशी भूमि पेरिस में हुआ। लेकिन उसकी गूंज मुंबई में सुनाई पड़ी। पेरिस में आतंकियों ने एक साथ 6 ठिकानों को अपना निशाना बनाया। मुंबई में 26/11 का आतंकी हमला पहला ऐसा आतंकी हमला था जिसमें आतंकियों ने एक साथ कई ठिकानों को निशाना बनाया था और अत्याधुनिक हथियारों के साथ आईडी यानी की बम का इस्तेमाल भी किया था। जानकारों का मानना है कि 26/11 आतंकी हमला कम संसाधन में ज्यादा घातक साबित हुआ था। इसलिए आतंकी उसी तर्ज पर अपने मंसूबों को अंजाम देने पर लगे हैं। इस आतंकी संगठन ने मौत के नए तरीके अपनाए. जिन्हें देखकर मौत भी शर्मा जाए। अपने रास्ते में आने वाले लोगों को बेरहमी के साथ मौत के घाट उतारना इस संगठन का शगल बन गया। इस आतंकी गिरोह ने सिर कलम करने से लेकर, ऊंची इमारतों से नीचे फेंकने, ज़िंदा जला देने, बिठा कर सिर में नज़दीक से गोली मार देने जैसे नए मौत के खेल इजाद किए। और उनका वीडियो बनाकर जारी करना आईएस का खास शौक बन गया।
फ्रांस मे साल मे दो बार हमला बताता है कि आईएसआईएस का सरगना अबू बकर अल बगदादी का मकसद सिर्फ और सिर्फ इराक और सीरिया को जीतना नहीं है। बल्कि वो तमाम मुल्कों यानी साइप्रस, इजरायल, जॉर्डन, लेबनान, सीरिया, फिलिस्तीन और टर्की को मिलाकर एक इस्लामिक अमीरात बनाना चाहता है । आईएस ने पेरिस पर ताज़ा हमला करके अपने खतरनाक इरादों को जता दिया। बीते एक साल में अमेरिका सहित दुनिया की बड़ी महाशक्तियां भी संगठन का खात्मा नहीं कर पाईं।हांलाकि बगदादी की वहशी सेना के खिलाफ अमेरिका ने अपने साथी मुल्कों के साथ मिलकर अभियान शुरु किया है। इस अभियान में फ्रांस बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहा है । पिछले साल सितंबर से हवाई हमलों में जुटा फ्रांस अब अपने सबसे बड़े युद्धपोत को मैदान में उतारने की तैयारी कर चुका है। इसी बात से आईएसआईएस बौखला गया है। अपने ठिकानों पर हुए हमलों से बौखलाकर ही उसने फ्रांस को दहलाने की साजिश रची।इसके बावजूद महाशक्‍तियां इस लड़ाई मे अपने असली मकसद को ले कर एक नही हैं ।सीरिया मे आईएसआईएस के खिलाफ रूसी हमलों को लेकर अमेरिका बराबर विरोध प्रकट करता रहा है ।जबकि रूस के हवाई हमलों ने इस संगठन को काफी नुकसान पहुंचाया है ।हाल मे ही रूस ने दावा किया था कि उसके हमलों मे 300 आतंकी मारे गये हैं । शायद भारत ने इसकी गम्‍भीरता को पहले ही समझ लिया था और दुनिया को अच्छे और बुरे आतंक में कोई फर्क नहीं करने की लगातार चेतावनी दी थी ।लेकिन महाशक्‍तियों ने इसे हमेशा भारत के संर्दभ मे देखा ।यही नही प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी तमाम अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद की वैश्विक परिभाषा तय कर इसके खिलाफ एक स्वर और ताकत के साथ जंग लड़ने की बात लगातार उठाते आ रहे हैं। यह भी एक संयोग है कि पेरिस में हुए आतंकी हमले के चौबीस घंटे पहले भी मोदी ने अपनी ब्रिटेन यात्रा के दौरान ब्रिटिश संसद में इसको लेकर दुनिया को खरी-खरी सुनाई भी थी। मोदी ने मांग की कि इससे पहले बहुत देर हो जाए, संयुक्त राष्ट्र को आतंकवाद को परिभाषित करना चाहिए जिससे यह स्पष्ट हो जाए कि कौन आतंकवाद के साथ है और कौन इस बुराई से लड़ रहा है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से जल्द से जल्द अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक संधि को मंजूरी देने की अपील की। दरअसल आतंकवाद किस पल किसके लिए खतरा बन जाए इसको लेकर दुनिया की कोई ताकत आश्वस्त नहीं रह सकती।अगर अब भी महाशक्‍तियां अच्‍छे और बुरे आतंक मे विभेद करती रहेगीं तो फिर ये संकट कहां जा कर रूकेगा इसकी अभी कल्‍पना नही की जा सकती है । भारत के खिलाफ आतंकवाद का भरन-पोषण करने वाले पाकिस्‍तान मे आतंकवाद की तस्‍वीर मिसाल के तौर पर सामने है ।वैसे पेरिस पर हमले की महाशक्‍तियों सहित तमाम देशों ने घोर निंदा की है लेकिन अब भी ये देखने वाली बात होगी यूरोपीय यूनियन और अमेरिका फ्रांस का कितना साथ देता है और आतंकवाद से लड़ने के नाम पर कौन सी रणनीति बनती है । क्या आतंकवाद से निबटा जाएगा या इसको लेकर आतंकवादियों के एक वर्ग को समर्थन और दूसरे को निबटाने जैसी दोहरी रणनीति जारी रहेगी। लेकिन इतना तय है कि इस हमले के असर से विश्व अछूता नहीं रहेगा।ये अच्‍छी बात है कि भारत सरकार इसे लेकर काफी संजीदा और सतर्क है और जो भी किया जाना चाहिए कर रही है।
** शाहिद नकवी **

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