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मोदी मैजिक के सहारे यूपी में प्रचंड बहुमत से जीतकर सत्ता में आई बीजेपी ने मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला करने में एक हफ्ता लगाया।लखनऊ से लेकर दिल्ली तक खूब मंथन हुआ।तमाम दावेदारों के नामों पर चर्चा हुई और आखिर मे योगी आदित्यनाथ के हाथों कमान सौपी गयी।भारतीय जनता पार्टी ने विशाल बहुमत हासिल करने के बाद भी हिंदुत्व के पैरोकार और अक्सर विवादों में घिरे रहनेवाले नेता को देश के सबसे बड़े सूबे की बागडोर देने के फैसले में कई संकेत पढ़े जा सकते हैं।कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री बनने में उनकी अपनी लोकप्रियता और पार्टी की हिंदुत्व राजनीति की अहम भूमिका है।मतलब साफ है कि यूपी मे योगी हिंदुत्व के पासवर्ड के साथ विकास के नये माडल होंगें।इसे संघ और भाजपा का साल 2019 का संदेश यदि 14 साल बाद एक भगवाधारी को मुख्यमंत्री बनाए जाने में छुपा है तो सवाल भी खड़े हो रहे है।सवाल इस लिये खड़े हो रहें हैं कि यूपी के आम लोगों ने नरेंद्र मोदी को उम्मीद से वोट किया है।यहां तक की जातीय समीकरण इस क़दर उलट-पुलट हो गए कि उत्तर प्रदेश की 85 आरक्षित विधानसभा सीटों में बहुजन समाज पार्टी सिर्फ़ दो सीटें जीत पाई।मुसलमानों को लगभग सौ टिकट देने की उसकी रणनीति नाकाम हो गई।यूपी के लोगो ने अखिलेश का काम बोलता है के नारे को नकार कर प्रधानमंत्री मोदी के ज़रिए विकास का सपना देखा है।मोदी ने यूपी की आम जनता से कई वादों के साथ नई राजनीति का भरोसा भी दिलाया है।वह तथकथित तुष्टीकरण के बदले सबको साथ लेकर सबके विकास की बात भी कर रहे हैं।पांच बार के सांसद जिन्हें प्रचंड बहुमत के बाद भी 2014 मे मोदी सरकार में मंत्री नहीं बनाया गया, को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया जाना एक अप्रत्याशित फैसले के तौर पर अब सामने है। कह सकते हैं कि मोदी ने एक बार फिर देश को चौंकाया। जैसा कि कुछ दिन पहले ही उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत हासिल कर किया था। यही नहीं इससे पहले पूर्ण बहुमत से केंद्र में मोदी सरकार स्थापित कर जो महत्वपूर्ण फैसले लिए वह भी कम अप्रत्याशित नहीं थे चाहे फिर सर्जिकल स्ट्राइक हो या फिर नोटबंदी और दूसरे निर्णय।।इस बड़े फैसले के भी मायने निकाले जाएंगे ।लेकिन योगी के नेतृत्व पर अगर – मगर लगाना या कुछ गलत कयास लगाना फिलहाल जल्दबाजी होगी।क्यों कि योगी अब राजयोगी बन गए हैं और राज्य के 21वें सीएम के तौर पर शपथ लेने के साथ ही उत्तर प्रदेश में योगी युग का आगाज हो गया है।सीएम बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने भी सबका साथ सबका विकास का मोदी मंत्र भी दोहराया। उनकी ताजपोशी पर पूर्वी यूपी में खूब जश्न मनाया गया जिसमे मुसलमानों के भी शामिल होने की खबरें रही हैं।यही नही जो मुस्लिम समुदाय के लोग उनके क्षेत्र में रहते हैं उन्हें आज तक ऐसा कोई अनुभव नहीं हुआ कि वह भेदभाव करते हैं।कहा तो यहां तक गया कि उनको मुख्यमंत्री बनाने के लिये मुसलमानों ने मननतें तक मानी।दरअसल यह केवल चुनाव की राजनीति को लेकर फैसला नहीं किया गया है।बल्कि योगी को उनकी कई खासियतों के कारण चुना गया है।उनकी छवि एक कठोर, अनुशासित कार्यकर्ता की है।उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए एक कठोर और अनुशासित व्यक्ति की आवश्यकता थी।उत्तर प्रदेश में नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने बार-बार कहा कि देश के विकास का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर निकलता है।यानी उनके हिसाब से उत्तर प्रदेश को अभी आर्थिक विकास की जरूरत है।भाजपा का मनना है कि पिछले 10-12 साल में उत्तर प्रदेश आर्थिक मोर्चे पर पिछड़ा गया है।विकास दर में गिरावट आयी है और आर्थिक प्रगति रुक गयी है। मुख्यमंत्री के रूप में योगी को किसानों के कर्ज माफ करने हैं।बैंकिंग प्रणाली और अधिकारी मानते हैं कि कर्ज माफ करने की व्यवस्था ठीक नहीं है।लेकिन प्रधानमंत्री ने छोटे किसानों के लिए आश्वासन दिया है, तो प्रस्ताव पास करना होगा और इसके बदले हजारों करोड़ उत्तर प्रदेश शासन को देना होगा।गन्ना किसानों को कीमतें देना, चीनी मिलों के पास जो बकाया है, उसे दिलाने की व्यवस्था भी करनी होगी।कानून व्यवस्था, किसानों के अलावा छोटे बच्चों-महिलाओं के स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत होगी। कट्टर हिंदुत्व की छवि वाले योगी सिर्फ 44 साल के हैं। ऐसे में योगी के जरिए अखिलेश की घेराबंदी कर राहुल से उनके साथ को तोड़ने में भी बीजेपी को मदद मिल सकती है जिसकी रणनीति अमेठी और रायबरेली में भी सोनिया की जगह लेने वाली प्रियंका की संभावनाओं के साथ राहुल की जीत पर भी प्रश्न चिन्ह लगाना एक बड़ा मकसद होगा। संदेश यह भी है कि राज्यों की राजनीति में भी संघ की पसंद को ध्यान में रखते हुए मोदी आगे बढ़ रहे हैं।मोदी ने देश मे राजनीति की एक नई परिभाषा गढ़ी है।जिससे एक नया वातावरण बना है।गौरतलब है कि हिंदुत्व की राजनीति से नरेंद्र मोदी ने भी गुजरात से अपनी पहचान बनाई थी, लेकिन अपनी छवि को लगातार बदलते रहने के लिए वे लगातार मेहनत करते रहे हैं।भारतीय मुसलमानों के बेहतरीन कामों की तारीफ उन्होने विदेशों मे भी की है। अब योगी आदित्यनाथ को भी उतनी ही मेहनत करने की ज़रूरत होगी।दरअसल सशक्त विपक्ष के अभाव में हिंदुत्व की राजनीति थोड़े दिनों और थोड़ी दूर तक तो चल जायेगी।लेकिन अगर विकास नहीं हुआ, लोगों को काम धंधे नहीं मिलेंगे और युवाओं को नौकरियां नहीं मिलेंगी तो इनकों अंतर समझ मे नही आयेगा।देश में उत्तर प्रदेश हमेशा से जातिगत राजनीति का गढ़ माना जाता रहा है।यहां पर जाति आधारित राजनीति के वर्चस्व की वजह से विकास की राजनीति हमेशा नीचले पायदान पर रही है। राजनीतिक तौर पर विकसित राज्य विकास के मामले में अभी तक बीमारू राज्य की श्रेणी में आता है। योगी आदित्यनाथ साइंस के छात्र रहे हैं और पढ़ने में काफी अच्छे रहे हैं। उनसे राज्य की जनता को अपेक्षा है कि वह राज्य को बीमारू राज्य की श्रेणी से बाहर निकाले और राज्य के बेरोजगार युवाओं को रोजगार मुहैया कराएं ताकि युवा अपने घरों में रहकर रोजगार करें और लाखों की संख्या में पलायन रुके।योगी आदित्यनाथ की तगड़ी जमीनी पकड़ है और लंबा राजनीतिक अनुभव भी है।वह पांच बार से लगातार गोरखपुर के सांसद रहे हैं।उनकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाने के लिये ये काफी है कि वह गोरखपुर लोकसभा सीट से 2014 में तीन लाख से भी अधिक सीटों से चुनाव जीते थे।सन 2009 में दो लाख से भी अधिक वोटों से जीत हासिल की थी।पूर्वांचल की 60 से अधिक सीटों पर योगी आदित्यनाथ की पकड़ मानी जाती है।कहा जा रहा है कि कोई उदार नेता या हिन्दुत्व के वाहक योगी मुख्यमंत्री बने, इससे मुसलमानों को कोई दिक्कत नहीं होगी, बशर्ते वे उनके जीवन को सुरक्षित बनायें, उनके रोजगार और बेहतर तालीम की व्यवस्था करें, यह ज्यादा जरूरी है।मुसलमानों को भी इसे सकारात्मक नजरिये से लेना चाहिये ,क्यों कि उनके सामने केन्द्र और दूसरे सूबों मे भाजपा सरकारों की नजीर है।वह सूबे की स्वास्थ्य, परिवहन, बिजली, रोजगार, कानून व्यवस्था जैसे मुद्दों को बेहतर तरीके से हल कर पाये, तो उनके लिए बड़ी उपलब्धि होगी। जातीय समीकरणों को भी साधने की चुनौती योगी के सामने होगी। चुनाव जीतने के लिए भाजपा ने सभी जातियों को साथ लिया था, ऐसे में सभी जातियों के साथ योगी को बेहतर तालमेल बना कर साथ लेकर चलना होगा।सदन मे कोई मुस्लिम विधायक के ना होने के बाद भी मोहसिन रजा को मंत्री बना कर आला कमान ने ये सेदेश दिया है कि सामाजिक समरसता भी येगी सरकार के ऐजेंडे मे शामिल है।उत्तर प्रदेश को आगे बढ़ाने को लेकर उनके समने अवसर भी है और चुनौती भी है।बहरहाल उम्मीद की जानी चाहिए कि योगी प्रदेश को एक अच्छा नेतृत्व प्रदान करेंगे।क्यों कि साल 2019 मे उनको इसी आधार पर कसौटी पर कसा जायेगा और नाकामी केन्द्र की प्रतिष्ठा से जुड़ी होगी।
** शाहिद नकवी **
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